Monday, August 22, 2011

अन्‍ना हजारे और लोकपाल वि‍धेयक

ग़ज़ल संग्रह 'समाधान' से 

देशभक्ति उमड़ रही मुग़ालते में न आना है।
ज़रूरी साथ चलने वालों को जँचवाना है।।
अन्ना सतर्क रहना कारवां के संग कई ऐसे।
जिनका मकसद जैसे भी मतलब सधाना है।।
कुछ दूर हवा के संग चलेंगे, फिर मुड़ लेंगे।
वे जायेंगे वहीं जहाँ पे उनको जाना है।।
उनको अच्छी तरह मालूम है कि किस तरह।
बिगड़ा माहौल अपने अनुकूल बनाना है।।
जयप्रकाश के संग चले थे, तंत्र को बदलने।
पर याद हमें स्वार्थियों का वो टकराना है।।

लोकपाल विधेयक छै दशक से लटकाना है।
मगर दावा कि जड़ से भ्रष्टाचार मिटाना है।।
सियासतदारों का ये खेल अनोखा, ख़ुद को।
जाँच के दायरे में लाने से कतराना है।
व्यक्तिगत लाभ हेतु तत्काल प्रस्ताव पारित।
निज सुविधाओं हेतु ना तनिक देर लगाना है।
विदेशी बैंकों में जमा अक़ूत काले धन की।
वापसी हेतु सियासत को साँप सूंघ जाना है।
साँच को आँच नहीं पर क्योंकर इनका।
जाँच के नाम पसीना छूटता, थरथराना है।।

लोकपाल विधेयक का मकसद नकेल कसाना है।
सियासत नौकरशाह बेलगाम, अंकुश लगाना है।।
वर्तमान प्रणाली में छोटी मछलियाँ ही फँसतीं।
बड़े मगरमच्छों का बाल बाँका न हो पाना है।।
लोकपाल विधेयक दायरे में सत्ता विपक्ष सभी।
नाहक इसे सत्ता पक्ष का शिकस्त बताना है।।
सत्ता में मौका मिला पर विपक्ष को भी न सूझा।
स्विस बैंक जमा काला धन वापस लौटाना है।।
बृजेश विपक्ष ही क्या दूध का धुला हुआ जो।
लोकपाल विधेयक पर उसका जश्न मनाना है।।

दोषियों का सामाजिक बहिष्कार कराना है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़रूरी माहौल बनाना है।।
महज कानून बनाकर ही कुछ हो नहीं सकता।
ज़रूरी सतत जनजागरण अभियान चलाना है।।
अन्ना की सफलता पे कई जले भुने बैठे।
देखते ही बनता अधीरों का तिलमिलाना है।।
अब भी गाँधी प्रासंगिक हिन्द में, हजारे के।
पीछे हजारों लाखों, करोड़ों का आना है।।
इक्कीसवीं सदी के गाँधी को देश का सलाम।
सत्याग्रह शक्ति का फिर से मर्म समझाना है।।