सरस्वती-शतकम्
संस्कृत गीतिकाव्य
श्लोक क्रमांक 1 से 25
शास्त्र-वेदज्ञानवती श्रुतिमयी वेदवती।त्वं महातत्त्वप्रदर्शिता नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।१।।
अन्वय - त्वं शास्त्र.वेद ज्ञानवती वेदवती श्रुतिमयी महातत्त्व प्रदर्शिता सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - आप शास्त्र और वेदों के ज्ञान से युक्त स्वयं वेद व श्रुतिमयी परम तत्त्व को प्रकट करने वाली हो,
हे माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
असत्यपक्षविच्छेदिनी सर्वपापखण्डखण्डिनी।
सतोगुणाच्छादिता नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।२।।
अन्वय - असत्य पक्ष विच्छेदिनी सर्वपाखण्ड खण्डिनी सतोगुण आच्छादिता सरस्वती! तुभ्यं नम:।
अर्थ - असत्य पक्ष का नाश करने वाली, सभी प्रकार के पाखण्ड ;छल, छद्म, दिखावों का खण्डन करने वाली सतोगुण से आच्छादित माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
सरस्वती शुभावहा अंतरसुरप्रभञ्जिनीं।
सर्वशास्त्रछन्दोमयी नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।३।।
अन्वय - सरस्वती शुभ आवहा अंत: असुर प्रभञ्जिनीं, सर्व शास्त्र छन्दोमयी सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - हे, शुभ पर विराजमान, अन्तकरण के आसुरी प्रवृत्तियों का नाश करने वाली, सभी शास्त्रों के छन्दों से ओतप्रोत माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
सर्वभूतवासिनी, आसुरीदर्पनाशिनी।
परम-सुख-प्रदायिनी नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।४।।
अन्वय - सर्व भूत वासिनी, आसुरी दर्प नाशिनी, परम सुख प्रदायिनी सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - हे सभी जीवों में निवास करने वाली, आसुरी अभिमान का नाश करने वाली, परम आनंद को प्रदान करने वाली माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
शारदे ! महात्ममयी योगमार्गनिदर्शिनी।
काम-लिप्सा-ध्वंसिनी नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।५।।
अन्वय - महात्ममयी योग-मार्ग निदर्शिनी शारदे, काम-लिप्सा-ध्वंसिनी सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - हे महिमामयी योग के मार्ग को दिखलाने वाली माँ शारदे, कामलिप्सा वाली प्रवृत्ति को ध्वंस -समाप्तद्, करने वाली माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
प्रसुप्तचक्रोद्दीपिनी भोग.जाल विमोचिनी।
वाचा प्रज्ञामण्डिता नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।६।।
अन्वय - प्रसुप्त चक्र उद्दीपिनी भोग.जाल विमोचिनी, वाचा प्रज्ञा मण्डिता सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - मानव में प्रसुप्त , सोये हुए, सातों चक्रों को जगाने वाली, विषय भोग की आसक्ति से छुटकारा दिलाने वाली, वाणी की शक्ति, प्रज्ञा से सुशोभित माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
तत्त्वज्ञानविमर्शनी चित्तभ्रमनिवारिणी।
आत्मबोधनिरूपिता नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।७।।
अन्वय - तत्त्व-ज्ञान-विमर्शनी, चित्त.भ्रम.निवारिणी, आत्म.बोध.निरूपिता सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - हे तत्त्वज्ञान कराने वाली, चित्त के भ्रम को दूर करने वाली, आत्म स्वरूप को दिखलाने वाली, माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
महादेवी सुधाकरी शुभाकरी ब्रह्मकारी।
गुणाकारी मंङ्गलाकारी नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।८।।
अन्वय - महादेवी सुधाकरी , सुधाकरीद्, शुभ आकरी ब्रह्मकारी, गुण आकरी मंङ्गल आकरी सरस्वति!
तुभ्यं नम:।
अर्थ - हे महादेवी, अमृत की भण्डार, शुभ.कोष वाली ब्रह्म स्वरुपिणी गुणों की भण्डार, मंङ्गलमयी माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
आरोग्यक्षेमसंबद्र्धिनी सर्वसिद्धिकारिणी।
सर्वाभीष्टदायिनी नमस्तुभ्यं सरस्वति!।।९।।
अन्वय - आरोग्य क्षेम संबद्र्धिनी सर्व सिद्धिकारिणी, सर्व अभीष्टदायिनी सरस्वति! तुभ्यं नम:।
अर्थ - आरोग्य क्षेम का संवर्धन करने वाली, सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली, सभी अभीष्ट को प्रदान करने वाली, हे माँ सरस्वती! आपको नमस्कार है।
वरदायनी प्रज्ञाप्रखरप्रदायिनी।
वागीश्वरी महाविज्ञानप्रदायिनी ।।१०।।
अन्वय - सरस्वती, वरदायनी प्रखर प्रज्ञा प्रदायिनी, वागीश्वरी महा विज्ञान प्रदायिनी।
अर्थ- माँ सरस्वती वरदायिनी हैं, प्रखर प्रज्ञा प्रदान करने वाली हैं, वाणीश्वरी सरस्वती महाविज्ञान प्रदान करने वाली हैं।
विद्याधीश्वरी भगवती वीणावादिनी।
ब्रह्मप्रिया वरदा ब्रह्मलोकनिवासिनी।।११।।
अन्वय - विद्याधीश्वरी वीणावादिनी भगवती वरदा ब्रह्मप्रिया ब्रह्मलोकनिवासिनी।
अर्थ - विद्याधीश्वरी वीणावादिनी भगवती ;माँ सरस्वती, ब्रह्मप्रिया ब्रह्मलोक में निवास करने वाली व अभिष्ट वर देने वाली हैं।
जगदीश्वरी निर्विकारी ब्रह्मस्वरुपिणी।
ब्रह्मवादिनी शारदा विद्यास्वरुपिणी।।१२।।
अन्वय - जगद् ईश्वरी शारदा निर्विकारी विद्यास्वरुपिणी ब्रह्मस्वरुपिणी ब्रह्मवादिनी।
अर्थ - जगदीश्वरी शारदा ; माँ सरस्वती निर्विकारी विद्यास्वरुपिणी ब्रह्मस्वरुपिणी और ब्रह्मवादिनी हैं।
विद्याधिष्ठात्री महादेवी हंसवाहिनी।
चैतन्यरुपिणी दुर्दान्तदुर्बुद्धिनाशिनी।।१३।।
अन्वय - महादेवी हंसवाहिनी विद्याधिष्ठात्री, चैतन्यरुपिणी दुर्दान्त दुर्बुद्धिनाशिनी।
अर्थ - महादेवी हंसवाहिनी ;सरस्वती, विद्याधिष्ठात्री चैतन्यरुपिणी दुर्दान्त दुर्बुद्धि को नष्ट करने वाली हैं।
परातत्त्वविवेचिनी अम्ब! विवेकप्रदायिनी।
मातेश्वरी सद्ज्ञानसदासरसायिनी।।१४।।
अन्वय - अम्ब! मातेश्वरी परातत्त्वविवेचिनी विवेक प्रदायिनी, सद्ज्ञान सरसायिनी।
अर्थ - मातेश्वरी ;माँ सरस्वती आप परातत्त्व की विवेचना करने वाली विवेक शक्ति प्रदान करने वाली सद्ज्ञान सरसाने वाली हैं।
निर्मला सर्वज्ञा त्रैलोक्य-सद्गतिदायिनी।
महामाये! शारदे! सद्बुद्धिसदासरसायिनी।।१५।।
अन्वय - महामाये! शारदे! निर्मला सर्वज्ञा त्रैलोक्य सद्गतिदायिनी सद्बुद्धि सरसायिनी।
अर्थ - महामाया शारदा ;सरस्वती, निर्मला, सर्वज्ञा, तीनों लोकों को सद्गति प्रदान करने वाली सद्बुद्धि देने वाली हैं।
सरस्वती विघ्नेश्वरी सर्वविघ्नविनाशिनी।
ह्रींविद्या शारदे! ह्रींबीजमंत्ररुपिणी।।१६।।
अन्वय - शारदे! सरस्वती विघ्नेश्वरी सर्वविघ्नविनाशिनी ह्रीं विद्या ह्रीं बीज मंत्र रुपिणी।
अर्थ - माँ शारदा सरस्वती विघ्रेश्वरी सभी प्रकार के विघ्रों का विनाश करने वाली ह्रीं विद्या और ह्रीं बीज मंत्र रुपिणी है।
विशुद्धचैतन्यरुपिणी कर्तव्यपथप्रदायिनी।
परात्पराशक्तिपरमप्रकाशप्रदायिनी।।१७।।
अन्वय - विशुद्ध चैतन्य रुपिणी कर्तव्य पथ प्रदायिनीपरा.अपरा शक्ति परम प्रकाश प्रदायिनी।
अर्थ - माँ सरस्वती विशुद्ध चैतन्य रुपिणी, कर्तव्य.पथ प्रदान करने वाली, परा अपरा शक्ति, परम प्रकाश प्रदान करने वाली हैं।
संसारसर्वविद्याविशारदपदप्रदायिनी।
शरणागतदयाभावसद्भावप्रदर्शिका।।१८।।
अन्वय - सरस्वती माँ संसार-सर्व विद्या विशारद पद प्रदायिनी शरणागत.दयाभावए सद्भाव प्रदर्शिका।
अर्थ - माँ सरस्वती, संसार की सभी विद्या में विशारद पद प्रदान करने वाली, शरणागत के प्रति दयाभाव सद्भाव प्रदर्शित करने वाली है।
सरस्वती संसारसारतत्त्वप्रदायिनी।
परमात्मनी पराविद्या महाबुद्धिविलासिनी।।१९।।
अन्वय - सरस्वती संसार: सारतत्त्वप्रदायिनी, परमात्मनी परा विद्या महाबुद्धि विलासिनी।
अर्थ - माँ सरस्वती संसार को सार तत्त्व प्रदान करने वाली, परमात्मनी परा विद्या महाबुद्धिविलासिनी हैं।
प्रकाशवती पद्मासना परमेश्वरी।
मातेश्वरी विद्यां देहि सरस्वती बुद्धीश्वरी।।२०।।
अन्वय - प्रकाशवती, पद्मासना, परमेश्वरी, मातेश्वरी, बुद्धीश्वरी सरस्वती माँ विद्यां देहि।
अर्थ - प्रकाशवती, पद्मासना, परमेश्वरी, मातेश्वरी, बुद्धीश्वरी सरस्वती माँ विद्यां ;ज्ञान दो।
घनघोर-यमपाश-भयभूत-समूलनिवारिणी।
सांसारिक-झंझावात-संसारसागरतारिणी।।२१।।
अन्वय - घनघोर यम-पाश-भय-भूत-समूलनिवारिण सांसारिक झंझावात, संसार सागर तारिणी।
अर्थ - माँ सरस्वती, घनघोर यमपाश के भय रूपी भूत को समूल नष्ट करने वाली, सांसारिक झंझावात और संसार सागर से पार करने वाली है।
विशुद्ध.विद्यात्मा श्रीस्त्रैलोक्यविमोहिनी।
क्रूरकालकरालकलिकालजालविमुक्तिनी।।२२।।
अन्वय - विशुद्ध विद्यात्मा श्री: त्रैलोक्य विमोहिनी क्रूर काल कराल कलिकाल जाल विमुक्तिनी।
अर्थ - विशुद्ध विद्यात्मा, श्री ;लक्ष्मी तीनों लोक को मोहित करने वाली, क्रूर काल कराल कलिकाल जाल से विमुक्त करने वाली हैं।
संसार-अज्ञान घनघोर-तिमिर-विनाशिनी।
नीरक्षीरविवेकविवेच्यबुद्धिप्रदायिनी।।२३।।
अन्वय - संसार-अज्ञान घनघोर तिमिर विनाशिनी, नीर-क्षीर विवेक विवेच्य बुद्धि प्रदायिनी।
अर्थ - माँ सरस्वती संसार के अज्ञान को घनघोर तिमिर ;अंधकार को मिटाने वाली, नीर-क्षीर विवेकी, विवेच्य बुद्धि को प्रदान करने वाली है।
भवसागरतारिणी महामोहनिवारिणी।
पराशक्ति परमानन्द परमपदप्रदायिनी।।२४।।
अन्वय - भवसागर तारिणी, महामोह-निवारिणी, पराशक्ति, परम आनन्द, परमपद प्रदायिनी।
अर्थ - माँ सरस्वती भवसागर से तारने वाली, महामोह से छुटकारा दिलाने वाली, परा शक्ति, परम आनन्द और परम पद प्रदान करने वाली हैं।
पतितपावनी वाणी महापाप-विनाशिनी।
वीणाकरधारिणी वरदे! वरदहस्तदर्शायिनी।।२५।।
अन्वय - वाणी सरस्वती पतितपावनी, महापाप विनाशिनी, वीणाधारिणी वरदे! वरद हस्त दर्शायिनी।
अर्थ - वाणी ;सरस्वती पतितपावनी, महापाप विनाशिनी, वीणाधारिणी, वरद हस्त दर्शाने वाली वरदायिनी हैं।
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