सरस्वती शतकम्
संस्कृत गीतिकाव्य
श्लोक 51 से 75
यागेश्वरी-अचलभक्तिप्रदात्री भावेश्वरी।
आत्मेश्वरी स्थिरबुद्धिप्रदात्री नादेश्वरी।।५१।।
अन्वय - यागेश्वरी भावेश्वरी आत्मेश्वरी नादेश्वरी स्थिरबुद्धिप्रदात्री अचल भक्ति प्रदात्री ।
अर्थ - यागेश्वरी, भावेश्वरी, आत्मेश्वरी, नादेश्वरी ; माँ सरस्वती स्थिर बुद्धि प्रदात्री व अचल भक्ति भाव प्रदान करती हैं।
ज्ञानवती ज्ञानसागरज्ञानमयी ज्ञानेश्वरी।
अज्ञानसमूलविनाशिनी सदाचारेश्वरी।।५२।।
अन्वय - ज्ञानेश्वरी ज्ञानवती ज्ञानसागर ज्ञानमयी सदाचारेश्वरी अज्ञान समूल विनाशिनी।
अर्थ - माँ ज्ञानेश्वरी, ज्ञानवती, ज्ञानसागर, ज्ञानमयी सदाचारेश्वरी अज्ञान का समूल विनाश करने वाली हैं।
वीणाकरधारिणी शुभ्रवस्त्रावृता सत्त्वमयी।
लोकमङ्गलकारिणी विधात्री श्री: ज्योतिर्मयी।।५३।।
अन्वय - श्री: सत्त्वमयी ज्योतिर्मयी शुभवस्त्र आवृता विधात्री कर वीणा धारिणी लोक मङ्गल कारिणी।
अर्थ - श्री सत्त्वमयी ;सरस्वती ज्योतिर्मयी शुभ वस्त्र आवृता विधात्री कर में वीणा धारण करने वाली लोक मङ्गल कारिणी हैं।
विद्यामाता बुद्धिमाता वाचा सत्येश्वरी।
प्रज्ञामाता त्रैलोक्यमोहिनी भाग्येश्वरी।।५४।।
अन्वय - विद्यामाता बुद्धिमाता वाचा प्रज्ञामाता सत्येश्वरी भाग्येश्वरी त्रैलोक्य मोहिनी।
अर्थ - विद्यामाता, सरस्वती बुद्धिमाता, वाचा, प्रज्ञामाता सत्येश्वरी भाग्येश्वरी त्रैलोक्य-मोहिनी हैं।
विद्यात्मा भारती परमानन्द प्रदायिनी।
ईश्वरी भाषा आत्मानन्दसरसायिनी।।५५।।
अन्वय - भारती विद्यात्मा परमानन्द प्रदायिनी ईश्वरी भाषा आत्म आनन्द सरसायिनी।
अर्थ - भारती, विद्यात्मा ;सरस्वती परमानन्द प्रदायिनी, ईश्वरी भाषा माँ सरस्वती आत्म-आनन्द सरसाने
वाली हैं।
हिमवर्णा ह्रींकारी हर्षमयी सद्भावेश्वरी।
प्रज्ञामयी सन्मार्गप्रदात्री पुण्येश्वरी।।५६।।
अन्वय - प्रज्ञामयी पुण्येश्वरी सद्भावेश्वरी हिमवर्णा ह्रींकारी हर्षमयी सन्मार्ग प्रदात्री।
अर्थ - प्रज्ञामयी ;सरस्वती पुण्येश्वरी, सद्भावेश्वरी हिमवर्णा ह्रींकारी हर्षमयी सन्मार्ग-प्रदात्री हैं।
चेतनेश्वरी मात:! सरस्वति ददाति विनयम्।
सत्येश्वरी स्थिरमतिप्रदात्री साधकेभ्य:।।५७।।
अन्वय - मात:! सरस्वति चेतनेश्वरी सत्येश्वरी विनयम् ददाति, साधकेभ्य: स्थिरमति प्रदात्री।
अर्थ - माँ सरस्वती चेतनेश्वरी सत्येश्वरी हैं। आप सर्वदा विनय भाव देती हैं। आप साधकों को स्थिरमति प्रदान करने वाली हैं।
ज्ञानदात्री मोक्षदात्री शुभदा वचनेश्वरी।
विद्योत्तमा ब्रह्मज्ञानप्रदात्री शब्देश्वरी।।५८।।
अन्वय - ज्ञानदात्री मोक्षदात्री शुभदा वचनेश्वरी शब्देश्वरी विद्योत्तमा ब्रह्मज्ञानप्रदात्री।
अर्थ - महादेवी सरस्वती ज्ञानदात्री, मोक्षदात्री, शुभदा, वचनेश्वरी, शब्देश्वरी, उत्तम विद्या ब्रह्मज्ञान प्रदात्री हैं।
मन्त्रेश्वरी सन्मार्ग.सद्भावस्वरुपिणी।
छन्द: प्रभाहंकार-समूल-निवारिणी।।५९।।
अन्वय - मन्त्रेश्वरी सन्मार्ग.सद्भाव स्वरुपिणी छन्द: प्रभा अहंकार समूल निवारिणी।
अर्थ - मन्त्रेश्वरी महादेवी सरस्वती सन्मार्ग और सद्भाव स्वरुपिणी छन्द.प्रभा अहंकार का समूल निवारण करने वाली हैं।
परमज्ञानप्रदात्री सरस्वती ज्ञानदा।
माया-समूल-निवारिणी शारदे! मोक्षदा।।६०।।
अन्वय - ज्ञानदा मोक्षदा शारदे सरस्वती परम.ज्ञान.प्रदात्री, माया.समूल-निवारिणी।
अर्थ - ज्ञान देने वाली, मोक्ष देने वाली, माँ शारदा ;सरस्वती आप परम.ज्ञान प्रदात्री और माया का समूल निवारण करने वाली हैं।
सर्वसिद्धिसंधारिणीं कषाय-कल्मषहारिणीम्।
सतोगुणसंवाहिकां नमामि सिद्धिदायिनीम्।।६१।।
अन्वय - सर्व.सिद्धि-संधारिणीं, कषाय-कल्मष-हारिणीम्, सतोगुण संवाहिकां, सिद्धिदायिनीम् नमामि।
अर्थ - सर्व सिद्धियों का संधारण करने वाली चित्त से कल्मष और कषाय, विकार को दूर करने वाली, सतोगुण की संवाहिका सिद्धिदायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
आनन्दमङ्गलकारिणीं सरस्वतीं विनोदिनीम्।
समस्त-देव-पूजितां नमामि पतितपावनीम्।।६२।।
अन्वय - आनन्द.मङ्गलकारिणीं सरस्वतीं विनोदिनीम् पतितपावनीम् समस्त देव पूजितां नमामि।
अर्थ - आनन्द और मङ्गल प्रदान करने वाली सरस्वत-विनोदिनी, पतितों का उद्धार करने वालीए समस्त देवों द्वारा पूजित हैं। ऐसी पतित पावनी महादेवी सरस्वती को मेरा नमस्कार है।
सर्वविषादहारिणीं स्फटिकमालधारिणीम्।
नीर.क्षीर विवेकिनीं नमामि ब्रह्मवादिनीम्।।६३।।
अन्वय - सर्व विषाद हारिणीं स्फटिक माल धारिणीम् नीर-क्षीर विवेकिनीं, ब्रह्मवादिनीम् नमामि।
अर्थ - सभी दुखों को दूर करने वाली, स्फटिक माला धारण करने वाली, नीर-क्षीर विवेकिनी, ब्रह्मवादिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
निराश्रितावलम्बिनीं सर्वकष्टविच्छेदिनीम्।
भारतीं विशम्भरां नमामि बुद्धिवद्र्धिनीम्।।६४।।
अन्वय - निराश्रित-अवलम्बिनीं, सर्व-कष्ट-विच्छेदिनीम् भारतीं, विशम्भरां, बुद्धिवद्र्धिनीम् नमामि।
अर्थ - निराश्रित ;बेसहारा के लिए सहाराए सर्व कष्ट विच्छेदिन, नष्ट करने वाली भारती, विश्वम्भरा, बुद्धिवद्र्धिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
अनन्तश्रीविभूषिणीं सर्वविभूतिधारिणीम्।
ब्रह्मतत्त्वविवेचिनीं नमामि ब्रह्मभावनीम्।।६५।।
अन्वय - अनन्त श्री विभूषिणीं सर्व विभूति धारिणीम्ब्रह्मतत्त्व विवेचिनीं ब्रह्मभावनीम् नमामि।
अर्थ - अनन्त श्री विभूषिणी, सर्व विभूति धारिणी, ब्रह्मतत्त्व-विवेचिनी, ब्रह्मभाव वाली ब्रह्मभावनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
सत्य-सत्त्वनिरूपिणीं जगन्मङ्गलकारिणीम्।
निर्मलां चिदम्बरां नमामि हंसवाहिनीम्।।६६।।
अन्वय - सत्य-सत्त्व निरूपिणीं जगत्-मङ्गल-कारिणीम्, निर्मलां चिदम्बरां, हंसवाहिनीम् नमामि।
अर्थ - सत्य-सत्त्व निरूपिणी, जगत्.मङ्गलकारिणी, निर्मला, चिदम्बरा, हंसवाहिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
ज्ञानसुधाप्रवाहिनीं सर्वानन्दसरसायिनीम्।
उदीप्तां ऋतम्भरां नमामि वीणावादिनीम्।।६७।।
अन्वय - ज्ञान-सुधा-प्रवाहिनीं, सर्व-आनन्द-सरसायिनीम् उदीप्तां, ऋतम्भरां, वीणावादिनीम् नमामि।
अर्थ - ज्ञान रुपी अमृत का हृदय में प्रवाह करने वाली, सर्व आनन्द बरसाने वाली, उदीप्ता, प्रकाशवती, ऋतम्भरा, वीणावादिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
अज्ञानान्धकारभेदिनीमात्मप्रकाशप्रदर्शिनीम्।
सकलब्रह्माण्डपूजितां नमामि वरदायिनीम्।।६८।।
अन्वय - अज्ञान-अन्धकार भेदिनीम् आत्म प्रकाश प्रदर्शिनीम्, सकल ब्रह्माण्ड पूजितां वरदायिनीम् नमामि।
अर्थ - अज्ञान अन्धकार को नष्ट करने वाली, आत्म प्रकाश प्रदर्शित करने वाली, सकल ब्रह्माण्ड द्वारा पूजिता वरदायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
वाचा बुद्धिवद्र्धिनीं महापापविनासिनीम्।
दयाभावप्रदर्शितां नमामि पतितोद्धारिणीम्।।६९।।
अन्वय - वाचा, बुद्धिवद्र्धिनीं, महापाप-विनासिनीम्, दयाभाव-प्रदर्शितां, पतित उद्धारिणीम् नमामि।
अर्थ - वाचा, बुद्धिवद्र्धिनीं महापाप विनाशिनी दया भाव दिखलाने वाली, पापी का उद्धार करने पतितोद्धारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
भक्ताभयप्रदायिनीं ब्रह्माप्रकाशप्रदर्शिनीम्।
अन्तस्तमोविच्छेदितां नमामि भक्तिदायिनीम्।।७०।।
अन्वय - भक्त-अभय प्रदायिनीं ब्रह्मप्रकाश प्रदर्शिनीम् अन्त: तम विच्छेदितां भक्तिदायिनीम् नमामि।
अर्थ - भक्त को अभय प्रदान करने वाली, ब्रह्म प्रकाश प्रदर्शित करने वाली, अन्त:करण के तम ; अन्धकार को दूर करने वाली, भक्ति प्रदान करने वाली भक्तिदायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
तमोऽसुरसंहारिणीं सतोगुणसम्बद्र्धिनीम्।
सरस्वतीं स्वयंभूतां नमामि लोकभावनीम्।।७१।।
अन्वय - तम-असुर संहारिणीं, सतोगुण सम्बद्र्धिनीम्, सरस्वतीं, स्वयंभूतां, लोकभावनीम् नमामि।
अर्थ - तम ;अज्ञान-अन्धकार रूपी असुर ;राक्षस का संहार करने वाली, सतोगुण को बढ़ाने वाली लोकभावनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
प्रज्ञाज्ञानकारिणीं वाग्देवीं तारिणीम्।
सद्ज्ञान-प्रदीप्तां नमामि ज्ञानदायिनीम्।।७२।।
अन्वय - प्रज्ञा-ज्ञान-कारिणीं, वाग्देवीं, तारिणीम्, सद्ज्ञान प्रदीप्तां, ज्ञानदायिनीम् नमामि।
अर्थ - प्रज्ञा ज्ञान कराने वाली, वाग्देवी, तारण करने वाली, सद्ज्ञान प्रदीप्त करने वाली, ज्ञान-दायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
अविद्यासर्वविमोचिनीं शारदां सुलोचनाम्।
सृष्टिमर्मानावृत्तां नमामि वीणावादिनीम्।।७३।।
अन्वय - सर्व अविद्या विमोचिनीं, शारदां, सुलोचनाम् सृष्टि-मर्म-अनावृत्तां, वीणावादिनीम् नमामि।
अर्थ .-सर्व ;सभी अविद्या को दूर करने वाली, सुन्दर नेत्रों वाली, सृष्टि के मर्म को ;अनावृत्त खोलने वाली वीणावादिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
परमानन्दस्वरूपिणीं शरणागतकष्टोद्धारिणीम्।
भारतीं भाग्यवद्र्धिनीं नमामि विक्षोभहारिणीम्।।७४।।
अन्वय - परमानन्द स्वरूपिणीं, शरणागत-कष्ट-उद्धारिणीम्, भारतीं, भाग्यवद्र्धिनीं, विक्षोभ-हारिणीम् नमामि।
अर्थ - परमानन्द स्वरूपिणी, शरणागत का कष्ट से उद्धार करने वाली, भारती, भाग्यवद्र्धिनी, विक्षोभ का हरण करने वाली विभोक्षहारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
सर्वाभीष्टप्रदायिनीं जरारोगविनाशिनीम्।
शारदामानन्दितां नमामि शोकहारिणीम्।।७५।।
अन्वय - सर्व.अभीष्ट.प्रदायिनीं जरा.रोग.विनाशिनीम् शारदाम् आनन्दिता, शोक हारिणीम् नमामि।
अर्थ - सर्व-अभीष्ट देने वाली, जरा रोग विनाश करने वाली, माँ शारदा, जो आनन्दिता, शोक का हरण करने वाली हैं। शोकहारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।
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