Tuesday, March 1, 2011

सरस्‍वती शतकम् भाग 4

सरस्‍वती-शतकम्
संस्‍कृत गीति‍काव्‍य
श्‍लोक 76 से100
जीवाधारयोगिनीममितपराक्रमदायिनीम्।
ब्रह्मज्योति:प्रदीप्तिनीं नमामि वीणावादिनीम्।।७६।।
अन्वय -जीव.आधार योगिनीम्, अमित पराक्रम दायिनीम्, ब्रह्म ज्योतिर: प्रदीप्तिनीं, वीणावादिनीं नमामि।
अर्थ - जीव.आधार योगिनी, अमित पराक्रम देने वाली, ब्रह्म ज्योति प्रदीप्त करने वाली, वीणावादिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

अनुकूलफलदायिनीं कीर्ति-यश:प्रदायिनीम्।
वाचा श्वेताम्बरां नमामि श्री सुशोभिताम्।।७७।।
अन्वय - वाचा श्वतोम्बरां सुशोभिताम् अनुकूल फलदायिनीं कीर्ति.यश: प्रदायिनीम् नमामि।
अर्थ - अनुकूल फल प्रदान करने वाली, कीर्ति यश को देने वाली, वाचा श्वेताम्बरा श्री से सुशोभित महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

नित्यानन्दप्रवाहिनीं परमपथप्रदर्शिनीम्।
सरस्वतीं परमात्मनीं नमामि प्रेरणादायिनीम्।।७८।।
अन्वय - सरस्वतीं परमात्मनीं प्रेरणादायिनीम् परम पथ प्रदर्शिनीम् नित्य आनन्द प्रवाहिनीं नमामि।
अर्थ - परमात्मनी, प्रेरणादायिनी, परम-पथ-प्रदर्शिनी, नित्य आनन्द प्रवाहिका, सत्य पक्ष प्रेरणादायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

तत्त्वबोधविवेचितामोंकारतत्त्वनिरूपिणीम्।
कालिदासवन्दितां नमामि वाग्दायिनीम्।।७९।।
अन्वय - तत्त्व बोध विवेचिताम् ओंकार तत्त्व निरूपिणीम् कालिदास वन्दितां वाग्दायिनीम् नमामि।
अर्थ - तत्त्व-बोध-विवेचिता, ओंकार तत्त्व का निरूपण करने वाली,  कालिदास द्वारा वन्दिता, वाग्दायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

तप:कलां भागेश्वरीं सिद्धबलामृद्धीश्वरीम्।
जगन्मातरं सरस्वतीं नमामि पथप्रदर्शिनीम्।।८०।।
अन्वय - जगत् मातरं सरस्वतीं पथ प्रदर्शिनीम् सिद्धबलाम् ऋद्धि‍ ईश्वरीं, भागेश्वरीं तप:कलां नमामि।
अर्थ - जगत-माता सरस्वती, पथप्रदर्शिनी, सिद्धबला ऋद्धि‍ ईश्वरी, भावेश्वरी, तप.कला स्वरूपिणी हैं। पथप्रदर्शिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

श्रीब्रह्मानन्दमयीं परात्परां ज्योतिर्मयीम्।
ब्रह्माण्डमहिमामण्डितां नमामि विश्वविमोहिनीम्।।८१।।
अन्वय - श्री ब्रह्मानन्दमयीं, परा-अपरा, ज्योतिर्मयीम् ब्रह्माण्ड.महिमा.मण्डितां नमामि विश्वविमोहिनीम्।
अर्थ - सरस्वती श्री ब्रह्मानन्दमयी, परा अपरा शक्ति से परिपूरित, ज्योतिर्मयी, ब्रह्माण्ड-महिमा-मण्डिता हैं। विश्व-विमोहिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

विवादोन्मादहारिणीं विषय-वासना-विनाशिनीम्।
महाकण्टकनिवारिणीं नमामि लोकतारिणीम्।।८२।।
अन्वय - विवाद-उन्माद हारिणीं, विषय-वासना-विनाशिनीम्, महा कण्टक निवारिणीं, लोकतारिणीम् नमामि।
अर्थ - विवाद-उन्माद हारिणी, विषय-वासना-विनाशिनी, महाकण्टक निवारिणी, लोक-तारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

योगपक्षनिरूपिणीं भोगपक्षविच्छेदिनीम्।
भुक्तिमुक्तिदायिनीं नमामि मोहनिवारिणीम्।।८३।।
अन्वय - मोहनिवारिणीं, भोगपक्ष-विच्छेदिनीम् योगपक्ष.निरूपिणीं भुक्ति-मुक्तिदायिनीं नमामि।
अर्थ - भोगपक्ष-विच्छेदिनी, योगपक्ष-निरूपिणी, भुक्ति-मुक्तिदायिनी मोहनिवारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

परमानन्दस्वरूपिणीमात्मबलप्रवाहिनीम्।
दिव्यपद्मासनस्थितां नमामि कमललोचनाम्।।८४।।
अन्वय - परमानन्द स्वरूपिणीम्, आत्मबलम् प्रवाहिनीम्, दिव्य पद्मासन स्थितां, कमललोचनाम् नमामि।
अर्थ - परमानन्द स्वरूप वाली, आत्मबलम् प्रवाह करने वाली, दिव्य पद्मासन पर संस्थित, कमलवत् नेत्रों वाली कमललोचिना महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

आत्मबोधनिरूपिणीं चिदानन्दस्वरूपिणीम्।
महादेवीं सुपावनीं नमामि दोषमोचिनीम्।।८५।।
अन्वय - महादेवीं, सुपावनीं, आत्मबोध-निरूपिणीं, चिदानन्द स्वरूपिणीम्, दोषमोचिनीम् नमामि।
अर्थ - सुपावनी, आत्मबोध-निरूपिणी, चिदानन्द स्वरूपिणी, दोषमोचिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

निश्छलमनोभाविनीं वैराग्य-भाव-सम्बद्र्धिनीम्।
विरंचिवामांगसंस्थितां नमामि मोक्षदायिनीम्।।८६।।
अन्वय - निश्छल-मन- भाविनीं, वैराग्य-भाव-सम्बद्र्धिनीम् विरंचि-वामांग-संस्थितां मोक्षदायिनीम् नमामि।
अर्थ - निश्छल मनभाविनी, वैराग्य-भाव-सम्बद्र्धिनी, विरंचि ;ब्रह्मा के वामांग ;बाये भाग में संस्थित ;बैठी हुई मोक्षदायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

आलस्यप्रमादहारिणीं सकलदुर्मतिनाशिनीम्।
भगवतीं ह्रींज्ञानवतीं नमामि दुर्बुद्धिनाशिनीम्।।८७।।
अन्वय - भगवतीं ह्रींज्ञानवतीं, आलस्य-प्रमाद हारिणीं, सकलदुर्मतिनाशिनीम् दुर्बुद्धि-नाशिनीम्।
अर्थ - भगवतीं ह्रीं, ज्ञानवती, आलस्य-प्रमाद हारिणी, सकल दुर्मति.नाशिनी, दुर्बुद्धि का नाश करने वाली दुर्बुद्धिनाशिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

महापातकविनाशिनीं कुबुद्धिदैत्यमर्दिनीम्।
ब्रह्माणीं सत्यवतीं नमामि बुद्धिदायिनीम्।।८८।।
अन्वय - ब्रह्माणीं सत्यवतीं, महापातक-विनाशिनीं, कुबुद्धि-दैत्य-मर्दिनीम् बुद्धिदायिनीम् नमामि।
अर्थ - ब्रह्माणी, सत्यवती, महापातक नाश करने वाली, कुबुद्धि-दैत्य का मर्दन करने वाली, बुद्धि देने वाली बुद्धिदायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

सरस्वतीं सुवास्वतीं महापापविनाशिनीम्।
तम: समूलछेदिनीं नमामि श्रीसुलोचनाम्।।८९।।
अन्वय - सरस्वतीं, सुवासरस्वतीं, महापाप-विनाशिनीम्, तम: समूल छेदिनीं श्री सुलोचनाम् नमामि।
अर्थ - सरस्वती, सुवास्वती, महापाप का विनाश करने वाली, तम का समूल नाश करने वाली हैं। श्रीसुलोचना महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

भगवतीं सिद्धेश्वरीं योगबलां योगेश्वरीम्।
अन्तज्र्योतिप्रदीप्तिनीं नमामि योगरूपिणीम्।।९०।।
अन्वय - भगवतीं, सिद्धेश्वरीं, योगबलां, योगेश्वरीम्, अन्त: ज्योति प्रदीप्तिनीं, योगरूपिणीम् नमामि।
अर्थ - भगवती, सिद्धेश्वरी, योग की शक्ति, योगेश्वरी, अन्त: ज्योति प्रदीप्त करने वाली हैं। योगरूपिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

सरस्वतीं ब्रह्ममयीं भेदागम्यां सत्त्वमयीम्।
वेदरहस्यानावृतां नमामि मन्त्रधारिणीम्।।९१।।
अन्वय - सरस्वतीं, ब्रह्ममयीं, भेद अगम्यां, सत्त्वमयीम्, वेद-रहस्य-अनावृतां, मन्त्रधारिणीम् नमामि।
अर्थ - सरस्वती, ब्रह्ममयी, भेद अगम्या, सत्त्वमयी, वेद के रहस्य को अनावृत्त करने वाली हैं। मन्त्रधारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

महाविज्ञानरूपिणीं मनोभावप्रदीप्तिनीम्।
प्रज्ञां देहि विद्यावति! नमामि छन्दोरूपिणीम्।।९२।।
अन्वय - महाविज्ञान-रूपिणीं, मन: भाव प्रदीप्तिनीम्, प्रज्ञां देहि विद्यावति! छन्दोरूपिणीम् नमामि।
अर्थ . महाविज्ञान-रूपिणी, मन के भाव को प्रदीप्त करने वाली, विद्यावती सरस्वती प्रज्ञा प्रदान करने वाली हैं। छन्दरूपिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

दुधर्षावसादछेदिनीं चिन्मयस्वरूपिणीम्।
सत्यप्रकाशप्रदर्शिनीं नमामि काव्यरूपिणीम्।।९३।।
अन्वय - दुधर्ष अवसाद-छेदिनीं, चिन्मय-स्वरूपिणीं, सत्य प्रकाश.प्रदर्शिनीं, काव्यरूपिणीं नमामि।
अर्थ .-दुधर्ष अवसाद दूर करने वाली, चिन्मय स्वरूपिणी, सत्य-प्रकाश प्रदर्शिनी, काव्यरूपिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

तेजोवलयमुखारविन्दे! नमस्तुभ्यं चरणारविन्दे!।
अन्तरुल्लासकारिणीं नमामि सत्यरूपिणीम्।।९४।।
अन्वय - तेज:वलय-मुख-अरविन्दे! चरण-अरविन्दे!ए नम: तुभ्यं। अन्त: उल्लास कारिणीं, सत्यरूपिणीं नमामि।
अर्थ - तेज वलय से सुशोभित कमलवत् मुख वाली, अरविन्द सी कोमल चरण वाली ;सरस्वती आपको नमस्कार है। अन्त:करण में उल्लास उत्पन्न करने वाली, सत्यरूपिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

कुटुम्बकल्याणकारिणीं शारदां भक्तवत्सलाम्।
महासुखसरसायिनीं नमामि मोक्षदायिनीम्।।९५।।
अन्वय - भक्तवत्सलाम्, शारदां, कुटुम्ब कल्याणकारिणीं, महासुख-सरसायिनीं, मोक्षदायिनीम् नमामि।
अर्थ - शारदा भक्तवत्सला, कुटुम्ब का कल्याण करने वाली, महासुख सरसाने वाली व मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। मोक्षदायिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

सर्वविक्षोभमोचिनीं जगत्संतापहारिणीम्।
चित्त-भ्रम-निवारिणीं नमामि त्रितापतारिणीम्।।९६।।
अन्वय - सर्व-विक्षोभ-मोचिनीं, जगत्.-संताप-हारिणीम्, चित्त-भ्रम-निवारिणीं, त्रिताप-तारिणीम् नमामि।
अर्थ - सभी प्रकार के विक्षोभ ;दुख से छुटकारा देने वाली, जगत के संताप ;कष्ट को हरने वाली, चित्त के भ्रम का निवारण करने वाली त्रिताप ;दैहिक, दैविक, भौतिक से तारने वाली त्रितापहारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

जगन्मातृसुशोभिनीं स्वर्ग-सुखदायिनीम्।
अज्ञानासुरप्रभञ्जिनीं नमामि कालविमुक्तिनीम्।।९७।।
अन्वय - जगत् मातृ सुशोभिनीं, स्वर्ग-सुखदायिनीम्, अज्ञान-असुर-प्रभञ्जिनीं, कालविमुक्तिनीम् नमामि।
अर्थ - जगतजननी के रूप में सुशोभित, स्वर्ग-सुखदायिनी, अज्ञान रूपी असुर को मारने वाली, काल से मुक्ति देने वाली कालविमुक्तिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

सत्संकल्पदायिनीं योगक्षेमसम्बद्र्धिनीम्।
ब्रह्मतत्त्वप्रदर्शितां नमामि ब्रह्मरूपिणीम्।।९८।।
अन्वय - सत् संकल्पदायिनीं, योगक्षेम-सम्बद्र्धिनीम्, ब्रह्मतत्त्व-प्रदर्शितां, ब्रह्मरूपिणीम् नमामि।
अर्थ - सात्विक संकल्प देने वाली, योगक्षेम का संबद्र्धन करने वाली, ब्रह्मतत्त्व को प्रदर्शित करने वाली, ब्रह्मरूपिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

शारदे! सद्गुणकरीं नवधाभक्तिदायिनीम्।
समष्टिभेदविवेचिनीं नमामि श्रीं ज्ञानकारिणीम्।।९९।।
अन्वय - शारदे! सद्गुणकरीं, नवधा-भक्तिदायिनीम् समष्टि भेद विवेचिनीं, श्रीं ज्ञानकारिणीम्  नमामि।
अर्थ - अम्बिके शारदे! आप सद्गुण प्रदान करने वाली, नवधा भक्ति देने वाली, समष्टि के समस्त भेद खोलने वाली, श्री ज्ञान को देने वाली हैं। ज्ञानकारिणी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

अशक्तबलवर्द्धि‍नीं सरस्वतीं विश्वभाविनीम्।
आत्मप्रकाशप्रदातृकां नमामि वीणावादिनीम्।।१००।।
अन्वय - अशक्त बलवर्द्धिनीं, सरस्वतीं, विश्वभाविनीम्, आत्म-प्रकाश-प्रदातृकां, वीणावादिनीम् नमामि।
अर्थ - सरस्वती अशक्त को शक्ति प्रदान करने वाली, विश्व को भाने वाली, आत्मा के प्रकाश को प्रदान करने वाली हैं। वीणावादिनी महादेवी सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूँ।

इति डॉ बृजेशसिंहेन विरचितं सरस्वती-शतकं सम्पूर्णतामगात्।

1 comment:

  1. शानदार पोस्ट
    ज्ञान दायनी का ज्ञान वर्धक ज्ञान का खजाना
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये

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