Friday, September 16, 2011

ग़ज़ल- व्‍यक्‍ति‍ के व्‍यक्‍ि‍तत्‍व का.....

ग़ज़ल


रचना - डॉ.बृजेश सिंह
गायक - कृष्‍ण कुमार साहू
तबला वादक  - कन्‍हैया श्रीवास
गि‍टार - रवि‍ गुप्‍ता




व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा होता उसकी तहजीब से,
जीवन की फसल उपजती है संकल्पों के बीज से।

जो जैसा सोचता वैसा ही वो बन जाता अक्सर,
शुभ या अशुभ कर्म निकलते हैं विचारों के दहलीज से।

किसी समय का कर्म भाग्य में तबदील होता सब जानते,
नाहक गिला शिकवा होता आदमी को अपने नसीब से।

आदमी नजरअंदाज भले कर देता इसे अक्सर मगर,
जमीर सवाल करता है हरदम अमीर से गरीब से।

दुनिया को सुधारने की कवायद में लगा रहता ‘बृजेश’
न देखना चाहता है आदमी खुद को करीब से।

3 comments:

  1. bahut hi shandaar hain .....vyaktitva ki pechan uski tehjeeb se ............................... aapko ashesh shubhkamnayein...

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